बदचलन बीवियों का द्वीप - कृष्ण बलदेव वैद

🥀🌼 बदचलन बीवियों का द्वीप - कृष्ण बलदेव वैद



कृष्ण बलदेव वैद की बदचलन बीवियों का द्वीप (प्रकाशक: राजकमल प्रकाशन, 2002) हिंदी साहित्य में एक अनूठा और प्रयोगात्मक कहानी संग्रह है, जो सोमदेव रचित प्राचीन संस्कृत ग्रंथ कथासरित्सागर की चयनित कहानियों का आधुनिक और समकालीन संदर्भों में पुनर्लेखन प्रस्तुत करता है। वैद, जो अपनी मौलिक भाषाई शैली और गैर-पारंपरिक कथन के लिए जाने जाते हैं, इस संग्रह में प्राचीन कथाओं को नए ढंग से प्रस्तुत करते हैं, जो पाठक को चमत्कृत करने के साथ-साथ गहरे सामाजिक और मनोवैज्ञानिक प्रश्न उठाती हैं।

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▪️बदचलन बीवियों का द्वीप में बलदेव कृष्ण वैद ने कथासरित्सागर की कहानियों को आधार बनाकर उन्हें आधुनिक परिप्रेक्ष्य में ढाला है। संग्रह की कहानियाँ, जैसे "कलिंगसेना और सोमप्रभा की विचित्र मित्रता", पारंपरिक कथाओं को समकालीन भाषा, संवेदनाओं और जीवन-छवियों से जोड़ती हैं। वैद की शैली में एक खास तरह का व्यंग्य, हास्य और मनोवैज्ञानिक गहराई है, जो पात्रों के व्यवहार और समाज के नैतिक ढांचे पर प्रश्न उठाती है। पुस्तक का शीर्षक ही अपने आप में एक व्यंग्यात्मक टिप्पणी है, जो "बदचलन" जैसे शब्द के माध्यम से सामाजिक मानदंडों और स्त्री-पुरुष संबंधों पर कटाक्ष करता है।

▪️वैद का कथन पारंपरिक नैतिकता या कहानी के निहितार्थ से अधिक कहानी की संरचना और भाषा पर केंद्रित है। उनकी भाषा जीवंत, बोलचाल से प्रेरित फिर भी साहित्यिक है, जो प्राचीन कथाओं को आज के पाठक के लिए प्रासंगिक बनाती है। उदाहरण के लिए, कहानियों में पात्र वही पुराने हैं, लेकिन उनकी सोच, संवाद और व्यवहार में आधुनिक मानसिकता की झलक मिलती है। यह पुनर्लेखन न केवल कथासरित्सागर की कथाओं को पुनर्जनन देता है, बल्कि वैद की लेखकीय दृष्टि को भी रेखांकित करता है, जो प्रयोग और नवीनता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

कहानियों के विवेच्य संदर्भ 🥀


▪️संग्रह की कहानियाँ स्त्री-पुरुष के अंतरंग संबंधों, सामाजिक अपेक्षाओं और नैतिकता के दोहरे मापदंडों पर गहरी टिप्पणी करती हैं। "बदचलन बीवियों" का शीर्षक समाज द्वारा स्त्रियों पर थोपी गई नैतिकता की आलोचना करता है।

▪️वैद प्राचीन कथाओं को आधुनिक संदर्भों में पुनर्परिभाषित करते हैं, जिससे परंपरा और आधुनिकता के बीच एक रोचक संवाद बनता है।

▪️ कहानियों में पात्रों के अंतर्मन की पड़ताल प्रमुखता से की गई है, जो वैद की लेखन शैली का एक महत्वपूर्ण पहलू है।

▪️कृष्ण बलदेव वैद का लेखन आलोचनात्मक ढांचों को चुनौती देता रहा है। इस संग्रह में भी उनकी वह खास शैली देखने को मिलती है, जो सरलीकृत व्याख्याओं को नकारती है। उनकी कहानियाँ पाठक से बौद्धिक और भावनात्मक जुड़ाव की मांग करती हैं। वैद की भाषा में एक खास तरह का ठहराव और प्रवाह है, जो पाठक को कहानी के साथ-साथ उसके पीछे छिपे अर्थों के विश्लेषण के लिए उकसाता है।

▪️बदचलन बीवियों का द्वीप उन पाठकों के लिए विशेष रूप से आकर्षक है, जो साहित्य में प्रयोग और नवाचार की तलाश में रहते हैं। हालांकि कभी-कभी इसकी जटिल भाषा और गैर-रैखिक कथन शैली चुनौतीपूर्ण लगती है। 

▪️यह संग्रह हिंदी साहित्य में बलदेव कृष्ण वैद के योगदान को रेखांकित करता है, विशेष रूप से उनकी प्राचीन और आधुनिक के बीच सेतु बनाने की क्षमता को।

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❣️ कथासरित्सागर का बदचलन बीवियों का द्वीप पर प्रभाव


सोमदेव द्वारा रचित प्राचीन संस्कृत ग्रंथ कथासरित्सागर हिंदी साहित्य में कृष्ण बलदेव वैद की बदचलन बीवियों का द्वीप (2002, राजकमल प्रकाशन) पर गहरा प्रभाव डालता है। यह प्रभाव न केवल कथानक और पात्रों के चयन में, बल्कि वैद की प्रयोगात्मक और व्यंग्यात्मक शैली में भी स्पष्ट है। 

कथासरित्सागर, जो 11वीं शताब्दी में कश्मीर में रचित विश्व के विशाल कथा-संग्रहों में से एक है, अपनी विविध और जटिल कहानियों के लिए जाना जाता है। यह ग्रंथ लोककथाओं, पौराणिक आख्यानों और नैतिक-मनोरंजक कथाओं का संकलन है, जो मानवीय स्वभाव, नैतिकता और सामाजिक संरचनाओं को दर्शाता है। वैद ने इस ग्रंथ की चयनित कहानियों का आधुनिक संदर्भ में पुनर्लेखन कर "बदचलन बीवियों का द्वीप" में नया जीवन दिया है। 

▪️निम्नलिखित बिंदुओं में कथासरित्सागर का प्रभाव विस्तार से समझा जा सकता है:

1. कथानक और संरचना का आधार


कथासरित्सागर की कहानियाँ बदचलन बीवियों का द्वीप के लिए मूल स्रोत हैं। वैद ने इस ग्रंथ की कहानियों, जैसे "कलिंगसेना और सोमप्रभा की विचित्र मित्रता" आदि, को चुना और उन्हें आधुनिक मनोवैज्ञानिक और सामाजिक परिप्रेक्ष्य में ढाला। 

कथासरित्सागर की कहानियाँ अपनी जटिल संरचना और अंतर्निहित कथाओं (stories within stories) के लिए जानी जाती हैं। वैद ने इस संरचनात्मक जटिलता को बनाए रखते हुए कहानियों को समकालीन पाठकों के लिए सरल और प्रासंगिक बनाया। 

उदाहरण के लिए, कथासरित्सागर में नैतिकता और मनोरंजन का मिश्रण है, लेकिन वैद ने नैतिकता पर कम और मानवीय स्वभाव, विशेष रूप से स्त्री-पुरुष संबंधों और सामाजिक मानदंडों पर अधिक जोर दिया।

2. स्त्री-पुरुष संबंधों का पुनर्पाठ


कथासरित्सागर में स्त्रियों के चरित्र अक्सर चतुर, स्वतंत्र और कामुक के रूप में चित्रित किए गए हैं, जो उस समय के सामाजिक ढांचे में असामान्य थे। वैद ने इन चरित्रों को आधुनिक संदर्भों में पुनर्जनन दिया, जिससे उनकी कहानियाँ समकालीन स्त्रीवादी दृष्टिकोण से प्रासंगिक हो उठीं। 

पुस्तक का शीर्षक "बदचलन बीवियों का द्वीप" ही कथासरित्सागर की कहानियों में मौजूद स्त्रियों की स्वतंत्रता और सामाजिक अपेक्षाओं के प्रति विद्रोह को व्यंग्यात्मक रूप से रेखांकित करता है। वैद ने प्राचीन कथाओं में मौजूद स्त्री चरित्रों की कामुकता और स्वायत्तता को आधुनिक मनोवैज्ञानिक गहराई के साथ प्रस्तुत किया, जो सामाजिक नैतिकता के दोहरे मापदंडों पर टिप्पणी करता है।

3. व्यंग्य और हास्य


कथासरित्सागर में हास्य और व्यंग्य का सूक्ष्म उपयोग है, जो मानवीय कमजोरियों और सामाजिक विडंबनाओं को उजागर करता है। वैद ने इस तत्व को और तीक्ष्ण किया। उनकी कहानियों में व्यंग्य न केवल सामाजिक संरचनाओं, बल्कि मानवीय व्यवहार और नैतिकता के दोगलेपन पर भी केंद्रित है।

 कथासरित्सागर की कहानियाँ जहाँ मनोरंजन और नैतिक शिक्षा पर जोर देती हैं, वहीं वैद की कहानियाँ इन नैतिक ढांचों को चुनौती देती हैं और पाठक को गहरे सवालों के साथ छोड़ देती हैं। उदाहरण के लिए, वैद की कहानियों में "बदचलन" शब्द का प्रयोग सामाजिक अपेक्षाओं और लैंगिक रूढ़ियों पर कटाक्ष करता है, जो कथासरित्सागर की कहानियों में निहित स्वतंत्र चरित्रों से प्रेरित है।

4. भाषा और शैली का प्रयोग


कथासरित्सागर की संस्कृत भाषा अलंकारिक और काव्यात्मक है, जो कहानियों को एक विशेष सौंदर्य प्रदान करती है। वैद जी की इस भाषाई समृद्धि को हिंदी में एक नई दिशा दी। उनकी भाषा जीवंत, बोलचाल से प्रेरित और फिर भी साहित्यिक है। 

कथासरित्सागर की कहानियों की कथावाचन शैली को वैद ने आधुनिक हिंदी में ढाला, जिसमें संवाद और मनोवैज्ञानिक विवरण प्रमुख हैं। यह भाषाई नवाचार कथासरित्सागर की कहानियों को समकालीन पाठकों के लिए सुलभ और रोचक बनाता है।

5. प्रयोगात्मकता और पुनर्लेखन


कथासरित्सागर की कहानियाँ अपने समय में कथावाचन की परंपरा का हिस्सा थीं, जो मौखिक और लिखित रूप में संचरित होती थीं। वैद ने इस परंपरा को पुनर्जनन देते हुए कहानियों का न केवल पुनर्लेखन किया, बल्कि उनकी संरचना और अर्थ को भी बदला। 

यह प्रयोगात्मक दृष्टिकोण कथासरित्सागर के प्रभाव को और गहरा करता है, क्योंकि बलदेव कृष्ण वैद ने प्राचीन कथाओं को आधुनिक साहित्यिक संवेदनाओं के साथ जोड़ा। उनकी कहानियाँ कथासरित्सागर की मूल भावना को बनाए रखती हैं, लेकिन आधुनिक पाठक के लिए नई व्याख्याएँ प्रस्तुत करती हैं।

6. सामाजिक और नैतिक टिप्पणियाँ


कथासरित्सागर में सामाजिक और नैतिक टिप्पणियाँ सूक्ष्म रूप में निहित हैं, जो उस समय के समाज को दर्शाती हैं। वैद ने इस तत्व को और तीक्ष्ण करते हुए अपनी कहानियों में समकालीन सामाजिक मुद्दों, जैसे लैंगिक असमानता, नैतिक दोगलापन और मानवीय स्वभाव की जटिलताओं को उजागर किया। कथासरित्सागर की कहानियाँ जहाँ मनोरंजन और शिक्षा पर केंद्रित थीं, वहीं वैद की कहानियाँ सामाजिक संरचनाओं और मानवीय व्यवहार पर गहरी आलोचनात्मक टिप्पणी करती हैं।

कथासरित्सागर का बदचलन बीवियों का द्वीप पर प्रभाव कथानक, चरित्र-चित्रण, भाषा, शैली और सामाजिक टिप्पणी के स्तर पर स्पष्ट है। वैद ने प्राचीन ग्रंथ की कहानियों को न केवल पुनर्जनन दिया, बल्कि उन्हें आधुनिक संदर्भों में पुनर्परिभाषित कर हिंदी साहित्य में एक नया आयाम जोड़ा। यह प्रभाव प्राचीन और आधुनिक के बीच एक सेतु बनाता है, जो वैद जी की लेखकीय प्रतिभा और प्रयोगधर्मिता को रेखांकित करता है। 

कथासरित्सागर की कहानियाँ जहाँ अपने समय की सांस्कृतिक और नैतिक सीमाओं में बँधी थीं, वहीं वैद ने उन्हें मुक्त कर समकालीन पाठकों के लिए विचारोत्तेजक और प्रासंगिक बना दिया। यह पुनर्लेखन हिंदी साहित्य में परंपरा और नवाचार के संवाद का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।

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बदचलन बीवियों का द्वीप कृष्ण बलदेव वैद की रचनात्मकता और प्रयोगधर्मिता का एक उत्कृष्ट नमूना है। यह संग्रह न केवल कथासरित्सागर की कथाओं को नए रूप में प्रस्तुत करता है, बल्कि हिंदी साहित्य में कहानी कहने के नए आयाम भी खोलता है। वैद की यह कृति उन पाठकों के लिए अनमोल है, जो साहित्य में गहराई, व्यंग्य और नवाचार की तलाश में हैं। यह पुस्तक हिंदी साहित्य के विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं और गंभीर पाठकों के लिए एक महत्वपूर्ण है।


______नीलिमा

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